Wednesday, 23 July 2014

YANTRA KAI LENE SE ACHHA EK HI LE MAHA YANTRA

जिनको अपना जन्म नहीं मालूम जो बहुत परेशांन है ,जिनके घर में कोई दोष है ,जिनको किसी बड़े काम के लिए कार्य करना है राजनीति में तरक्की के लिए राम बाण है महा यन्त्र उसकी पूजन अनिवार्य है ......
हर घर में होना चाहिए ये यन्त्र.........कई बाधाओ को कम कर देता है यन्त्र .......
महायंत्र -----
यन्त्र के लाभ---> जिस घर में धन का न आना या आने पर भी न रुकना ,संतान न होना,परिवारिक कलह ,शत्रु का डर ,उपरी हवाओ का चक्कर(प्रेत इत्यादि),जादू टोना, प्रेम का आभाव, वास्तुदोष,चोरी,दुर्घटना,मृत्यु योग का कुंडली में होना,बीमारियों का घर में रहना,मन की अशांति इत्यादि समस्याओं को जड़ से ख़त्म करता है !
नोट-- इस यन्त्र को अपने घर में मंदिर में रखने मात्र से ही काम करने लगता है! इसके साथ मिला लाल रिब्बन अपने घर के मुख्य दरवाजे पे बांधना होता है!
संपर्क करे ---8858274141,9935387616
महा यन्त्र स्थापित और पूजन के तरीके-----
1- महा यन्त्र के संग आपको 5 पीली कौड़ियाँ और 1 लाला रिब्बन मिलता है..
2- आपको महा यन्त्र को पूर्व और उत्तर दिशा के कोण में अर्थात ईशान कोण में लाल कपड़े के नीचे रखना है...
3- यन्त्र में लिखे गणेश मंत्र को फिर विष्णु मंत्र को फिर महालक्ष्मी मंत्र को फिर माँ काली मंत्र फिर नवग्रहों के मंत्र को 3 बार बोलना है और रोज इसी तरह से पूजन करना है दिया या धूप दिखा के .....
4- 3 कौड़ी को यन्त्र के संग रखना है हल्दी लगा के और यन्त्र में भी हल्दी का तिलक करे और 1 कौड़ी को लाल कपडे में बांध के अपने तिजोरी में रखे और 1 कौड़ी सदेव अपने साथ रखे ....
5- यन्त्र के साथ मिले लाल रिब्बन को अपने घर में मुख्य दरवाजे पर बंधना है.....
नोट --- या सब क्रिया करने से पूर्व सही समय जरुर पूछ ले शुभ समय में करे और जो कौड़ी अपने पास रखे तो धयान रहे अधार्मिक कार्यो में कौड़ी अपने साथ न रखें..
जो मंत्र महा यन्त्र में नहीं है वोह दिए जा रहे है..
महामृत्युंजय का प्रभावशाली मंत्र-ॐ ह्रौं जूं सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जूं ह्रौं ॐ ॥
श्री विष्णु मूल मन्त्र -ॐ नमोः नारायणाय. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय ||
महाकाली मंत्र -ॐ जयंती मंगल काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते ॥

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